आज भी ऋषि-मुनि हैं। आवश्यक नहीं कि वे जंगल में और साधुवेश में ही मिलें । वे सामान्य गृहस्थ जीवन जीते हुए बिना किसी आशा-अपेक्षा के तन-मन-धन से लोक कल्याण में स्वयं को समर्पित करते हैं । ऐसे ही एक अद्वितीय व्यक्तित्व से सम्पन्न हैं मध्यप्रदेश के इन्दौर में रहने वाले डॉक्टर स्वतंत्र जैन DrSwatantra Jain साहब, जो पिछले 15 वर्षों से इन्जीनियरिंग की नौकरी से त्याग पत्र देकर आम जनमानस की तन-मन-धन से सेवा कर रहे हैं । आपकी सबसे बड़ी विशेषता है कि आप तन और मन दोनों के रोगों को दूरकर भौतिक चाकचिक्य में फँसे जीवों को आत्मा के आनन्दमय स्वरूप की ओर उन्मुख करने के लिए अहर्निश सन्नद्ध हैं । आप होम्योपैथी के माध्यम से बड़े से बड़े शारीरिक रोगों की चिकित्सा करते है तथा अपने आध्यात्मिक ज्ञानराशि के माध्यम से, अशान्त जनमानस को शान्ति और आनन्द के साम्राज्य में प्रवेश के लिए प्रेरित करते हैं। रोगमुक्तविश्वरूप यज्ञ में आप निरन्तर आहूतियाँ दे रहे हैं और आप की सेवा से लाभान्वित होने वाले समग्र भारतवर्ष में, उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक फैले हैं । अपनी आध्यात्मिक पुस्तकों एवं प्रवचनों के द्वारा लोक में सौमनस्य का संदेश देते हुए लोगों को अन्तर्मुखी करने का यज्ञ भी आप निरन्तर ही सम्पादित कर रहे हैं । पिछले 4-5 वर्षों से आपसे फेसबुक पर जुड़ा था और आज अपने मित्र Vinod Gupta के साथ आपके दर्शन करने इन्दौर पहुँच गया..! दर्शन और आशीष पाकर लगा कि जैसे किसी ऋषि का आशीर्वाद पा गया और स्वयं को धन्य कर लिया । पुण्यभूमि भारत में आज भी महात्माओं की कमी नहीं है…! आज जब पूरा देश प्रकाशपूर्ण मना रहा है तब मैं एक प्रकाशित व्यक्तित्व से मिलकर अपनी दिवाली को सफल बना रहा हूँ…!